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क्या पवन सिंह की राजनीतिक वापसी से भाजपा को मिलेगा नया बल?

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पवन सिंह: भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार

पवन सिंह को बिहार में पावर स्टार के नाम से जाना जाता है। भोजपुरी संगीत और सिनेमा में उनकी पहचान मजबूत हो चुकी है। राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है, और इसे साबित करना आवश्यक होगा। भाजपा की अपेक्षाओं पर खरा उतरना आसान नहीं है। कई भोजपुरी कलाकार पहले से ही भाजपा से जुड़े हुए हैं। मनोज तिवारी और रवि किशन ने पार्टी में अपनी जगह बना ली है, लेकिन दिनेश लाल यादव का संघर्ष अभी भी जारी है। वह उपचुनाव के माध्यम से संसद पहुंचे, लेकिन अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पवन सिंह का मौका भले ही कम हो गया हो, लेकिन उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ है।


पवन सिंह की भाजपा में वापसी

पवन सिंह हमेशा से विवादों में रहे हैं। महिलाओं के सम्मान के मुद्दे पर वे कई बार आलोचना का सामना कर चुके हैं। 2024 के आम चुनावों में उन्हें आसनसोल से चुनाव लड़ने में कठिनाई हुई, और एक हरियाणवी अभिनेता के साथ उनके विवाद ने उन्हें ट्रोल किया। अब, पवन सिंह भाजपा में वापस लौट आए हैं, लेकिन इस बार एक बाईपास के जरिए। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा को दरकिनार कर दिया गया है। पिछले चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की हार का कारण पवन सिंह को माना गया था। कहा जा रहा है कि सभी विवादों को सुलझा लिया गया है। उपेंद्र कुशवाहा के सामने नतमस्तक होने की तस्वीरें भी सामने आई हैं। पवन सिंह को अमित शाह और नड्डा से मिलने के लिए NOC लेना पड़ा है, जिससे उपेंद्र कुशवाहा नाराज हैं।


क्या पवन सिंह के विवाद खत्म होंगे?

हाल ही में, पवन सिंह लखनऊ में एक स्टेज शो के दौरान हरियाणवी अभिनेत्री अंजलि राघव के साथ विवाद में फंस गए थे। शो का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी। उन्होंने लिखा था, "अंजलि जी, मेरा कोई गलत इरादा नहीं था... अगर मेरे व्यवहार से आपको ठेस पहुँची है, तो मैं माफी चाहता हूँ।"


पवन सिंह ने वही हरकत की जो उनके एल्बम में दिखाई देती है। भोजपुरी गानों और फिल्मों में उनकी एक्टिंग के साथ-साथ स्टेज शो में भी वे इसी अंदाज में रहते हैं। भाजपा में वापसी के बाद उनकी दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। एक तस्वीर स्टेज शो की है, जबकि दूसरी अमित शाह के साथ है। भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर ने भी उनकी तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, "भाजपा की सदस्यता यूँ ही नहीं मिल जाती... अपनी विविण्य पुटकरनी है।"


भाजपा को पवन सिंह से क्या लाभ?

पवन सिंह के टिकट वापस लेने का कारण विरोध रहा हो, लेकिन चर्चा है कि वे बिहार की आरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। आरा सीट से भाजपा के आरके सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। 2024 में उनकी हार में पवन सिंह का भी प्रभाव हो सकता है। माना जाता है कि पवन सिंह के कारण आस-पास के क्षेत्रों में महागठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।


भाजपा अब पवन सिंह को अपने साथ लाकर उस नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रही है। पवन सिंह की वजह से भाजपा को कई सीटों पर लाभ होने की संभावना है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा का साथ आना राजनीतिक समीकरण को बदल सकता है।


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